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ख़ुशी प्रायोजित की जाएगी / दिनकर कुमार

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ख़ुशी प्रायोजित की जाएगी
ठण्डे चूल्हे के पास बैठी हुई
एक बीमार औरत
मुस्कराएगी

विदेशी कार से उतरेगी
एक गदराई हुई औरत
और बनावटी फूल
बीमार औरत को सौंपकर
नववर्ष की शुभकामनाएं देगी

हताश चेहरे जादुई शीशे में
खिले हुए नज़र आएँगे
सरकार जादुई शीशे
मुफ़्त बँटवाएगी

असफलताओं की खाई में
एक उत्सव का दृश्य होगा
मरघट जगमगा उठेंगे
खोमचे वाले बेचेंगे सपने

जिन्हें नींद नहीं आती
जो देश के बारे में
इतिहास के बारे में
भूगोल के बारे में
अर्थनीति के बारे में
अधिक सोचते रहते हैं
उन्हें अफ़ीम चाटने के लिए दी जाएगी
पदवियाँ दी जाएँगी
पुरस्कार दिए जाएँगे
 
दुनिया देखेगी
खुशी से दमकते चेहरे
दूरदर्शन के सीधे प्रसारण में
इण्टरनेट पर
अँग्रेज़ी पत्रिकाओं के
रँगीन आवरण पृष्ठों पर