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नगर का रात्रि संगीत / कुमार मुकुल / डेनिस ब्रूटस

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चैन से सोओ, मेरे प्यार ! चैन से सोओ,
व्यस्त तटों पर बन्दरगाहों की रोशनी चमक रही है
अन्धेरी सुरँगों से तिलचटटों की तरह गुज़र रही हैं
पुलिस की गाड़ियाँ
टिन की चादर से बनी
घरों की छतें चरमरा रही हैं
हिंसा के नाम पर फेंके जा रहे हैं खटमलों से भरे चिथड़े
हवा में तैरती सायरन की आवाज़-सा व्याप्त है आन्तरिक भय ।

दिन भर की तपिश से रेगिस्तान और पर्वतों का
आक्रोश धड़क रहा है
पर कम अज कम
इस जीवित रात्रि के लिए
मेरे देश, मेरे प्यार, सोओऽऽऽ
चैन की नींद सोओ।