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सबे खेत ला बना दिन खदान / हरि ठाकुर
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सबे खेत ला बना दिन खदान
किसान अब का करही
कहाँ बोही काहां लूही धान
किसान अब का करही
काली तक मालिक वो रहिस मसहूर
बनके वो बैठे हे दिखे मजदूर।
लागा बोड़ी में बुड़गे किसान –
उछरत हे चिमनी ह धुंगिया अपार
चुचवावत हे पूंजीवाला के लार
एती टी बी म निकरत हे प्रान---
वोकर तिजोरी म खसखस ले नोट
लाघन मा पेट हमर करे पोट पोट
जिनगी ह लागत हे मसान ---
चल दिन सब नेता मन दिल्ली भोपाल
पूंजी वाला मन के बनगे दलाल
काबर गा रिसाथ भगवान—
पढ़ लिख के लई का मन बैठे बेकार
भगो भगो भगो कहिके देते निकार
ए कइसन बिकास हे महान