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संत दिन तलाशें / योगक्षेम / बृजनाथ श्रीवास्तव

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ये तपन भरे
दिन हैं
चलें छाँव दिन तलाशें

अभी-अभी
कई माह
स्वेद सनी देह रही
चर्चा में सपनीली
रसवंती मेह रही

ये प्यास भरे
दिन हैं
चलें नीर दिन तलाशें

पिछले दिन
पछुवा की
अफवाहें गर्म रहीं
लौटे दिन पुरवा के
पिछली ही लाद बही

ये कर्ज भरे
दिन हैं
चलें सोन दिन तलाशें

बार-बार
छाये तो
गरजे फिर चले गये
मतवारे मेघों से
फिर-फिर हम छले गये

ये कपट भरे
दिन हैं
चलें संत दिन तलाशें