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सूरज आयेगा / योगक्षेम / बृजनाथ श्रीवास्तव

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कभी किसी दिन
कोई तो फिर सूरज आयेगा

आँगन-आँगन द्वारे-द्वारे
भर देगा उजियारा
डाल-डाल पर सोन चिरैया
बाँचेगी भिनसारा

सगुना पाँखी
नई भोर के मंतर गायेगा

नदी समुंदर झील ताल को
वह ताप तपायेगा
वाष्प कणों से बादल रचकर
धरती पर छायेगा

बहुत दिनों से
प्यासा चातक प्यास बुझायेगा

हवा बहेगी
फिर पछुवैया
जो फसल पकायेगी
मंद-मदिर
पुरवैया भी तब
घन लेकर लायेगी

आँख तकेगी
हर किसान की जल बरसायेगा