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बादल आया है / योगक्षेम / बृजनाथ श्रीवास्तव

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बहुत दिनों के
बाद गाँव में
बादल आया है

आओ सब मिल
ढोल बजायें
मेघ मल्हारें गायें
करें आरती
बादल जी की
अगरु गन्ध सुलगायें
 
गीले—गीले
सपने लेकर
बादल आया है

घनी साँवरी
अलकों वाली
कई बदलियाँ राँचे
डाँट गरज कर
पथ दिखलाये
गोरी बिजुरी नाचे

वन-बल्लरियाँ
हँसी चहक कर
बादल आया है

लगता आज
मयूरी के भी
सपने पूरे होंगे
प्यासी कोख
बुझे धरती की
साफ कँगूरे होंगे

खिली किसानी
फिर किसान की
बादल आया है