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मुहब्बत के सफ़र की दास्ताँ है / अनीता मौर्या

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मुहब्बत के सफ़र की दास्ताँ है,
तू मेरी जान है मेरा जहाँ है।

सजी होटो पे है मुस्कान लेकिन
मेरा ग़म मेरी आँखों में निहां है।

सताता है तुझे जो हिज्र का ग़म
वो मेरी ज़िन्दगी में भी रवां है,

सफ़र में तुम हो तो लगता है ऐसा,
मेरे कदमों के नीचे आसमां है।

लबों से ही नहीं कहता है वो कुछ,
निगाहों से मगर सब कुछ अयाँ है..