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छह ताँका / इशिकावा ताकुबोकु / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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1.
परेशानी यह है
कभी पूरा नहीं हो पाता
ख़ुद को पाना
2.
मैं मुँह बनाता रहा
शीशे के सामने ।
रोने से तँग आ चुका था ।
3.
कभी-कभी
जीवन इतना शान्त होता है
घड़ी की टिकटिक भी घटना होती है
4.
इस उदासी से उबर नहीं पाता हूँ
मानो कि इसे पता हो
मेरी क़िस्मत
5.
पहाड़ के ऊपर से लुढ़कते
एक चट्टान की तरह
मैं आज के दिन तक आया
6.
डोर कटी पतंग की तरह
मेरा बिन्दास नौजवान दिल
नीले आसमान में खो गया