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शुक्र मनाता हूं / मुकेश प्रत्यूष

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1.
शुक्र मनाता हूं हर शाम
लौट आया हूं घर सकुशल

शुक्र मनाता हूं कि लगा हूं जिस पेशे से
बाढ़ हो या सूखा
नहीं बटती है वहां से कोई राहत न होती है कोई खरीद
होता नहीं है शहरी या ग्रामीण विकास
सड़का या पूल निर्माण का काम भी नहीं

शुक्र है कि बच्चे जाते हैं जिस साइकिल से स्कूल
गूंजती है उसकी आवाज अगले-पिछले चौराहे तक

शुक्र मनाता हूं कि पत्नी ले आती है सौदा-सुलुफ बाजार से
वरना क्या क्या करता मैं
दौड़ता कहां कहां

शुक्र मनाता हूं कि रहता हूं जिस मुहल्ले में
रहते हैं कुछ शोहदे, एक कुली, दो कबाड़ी, चार फेरीवाले और कुछ बेरोजगार आस-पास
पूरा मुहल्ला सो लेता हैं अब भी बेखटके सारी रात
शुक्र मनाता हूं

2.
शुक्र मनाता हूं कि राजा को नहीं मिलती है दंड
राजा की दया से होता है
हाथों में न्याय दंड
हां बदल जाए राजा तो दूसरी है बात
आंखों में नहीं भी रह सकता है पानी
रह जाए तो भी नया राजा करता नहीं है बहुत हाय तौबा
छोड़कर रखनी ही पड़ती है कुछ संभावनाएं

राजा से हुई गलती, गलती ही होती है
लेना ही पड़ता है निर्णय कुर्बानी का
कभी-कभी देश हित में
अब राजा दे तो नहीं सकता कुर्बानी अपनी
तख्त की भी नहीं
जानता है राजा तख्त से उतरने का मतलब

बेवजह पेरशान नहीं होता है राजा कुर्बानी देने वालों के लिए
कितनेां का रखा जा सकता है ख्याल
कर लेता है राजा चिन्ता अपनी
कम है क्या यही

राजा को किया नहीं जा सकता है परेशान
राजा से पूछे नहीं जा सकते हैं सवाल

गवाह है दुनिया
जब कभी मिली है दंड किसी राजा को
बंटना पड़ा है इसे हिस्सों में

अच्छा नहीं होता है बंट जाना दुनिया का
उससे तो अच्छा है मुक्त कर देना किसी राजा को
राजा को मुक्त होना होता है
राजा मुक्त होता है
आंखों में पटट़ी बांधना है तो बांधे रहे कोई
न्याय दंड राजा के हाथों में होता है

राजा जीत के आता है
राजा चुन के आता है
गिराने का सीढ़ी हक है राजा को

उतरेगा नहीं
कूदेगा नहीं
ऊपर से ऊपर जाएगा राजा

3.
शुक्र मनाता हूं कि राजा को करने होते हैं कई-कई काम
उसके होते हैं कई-कई हाथ, पैर, आंख, नाक, कान और मुंह भी
दशानन से भी कई गुना मायावी होता है अब राजा
कलियुग है

राजा की वंशावली में अब नहीं होते है केवल लाख-सवा लाख नाम
दुर्योधन-दु:शासन की फौज खड़ी कर देता है राजा
 
बनना पड़ता धृतराष्ट्र भी राजा को

राजा के पास अब भी होते हैं साधु
प्रभु का साथ भी मिलता है राजा को

सबको साथ लेकर चलना पड़ता है राजा को
राजा सब के साथ चलता है

सबके साथ चलता राजा
चलेगा कैसे राजमार्ग पर