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हिम्मत न हारो! / महेन्द्र भटनागर

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हिम्मत न हारो !
कंटकों के बीच
मन-पाटल खिलेगा एक दिन,
हिम्मत न हारो !

यदि आँधियाँ आएँ तुम्हारे पास
उनसे खेल लो,
जितनी बड़ी चट्टान वे फेंकें तुम्हारी ओर
उसको झेल लो !

तुम तो जानते हो
आजकल बरसात के दिन हैं;
गगन में खलबली है,
दौर-दौरा है घटाओं का,
तुम्हारे सामने अस्तित्व हो उनका

सदाओं का !

लरजती बिजलियाँ;
माना,
तुम्हारे सामने हो खेल
आतिशबाज़ियाँ नाना !
निरंतर राह पर चलते रहोगे तो
तुम्हारा लक्ष्य तुमसे आ मिलेगा एक दिन !
हिम्मत न हारो !
कंटकों के बीच
मन-पाटल खिलेगा एक दिन !
हिम्मत न हारो !