भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चूनर का सितारा / कविता भट्ट
Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:43, 11 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKRachna |रचनाकार=कविता भट्ट |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
विषाद मन का, डूबते दिन- सा,
लेखनी असहयोग कर बैठी।
वो मेरी चूनर का सितारा तय था,
उसकी प्रीत परायों से संयोग कर बैठी।
हाथ में मौली -सा जिसका प्यार बाँधा,
वही समय-गति, मेरा उपयोग कर बैठी।
चुप है- झिर्री से आता हुआ उजाला,
सूरज है- विमुख, किरण वियोग कर बैठी।
अँधेरे में छोड़ दिया साथ परछाई -सा
उसकी निष्ठा छल का प्रयोग कर बैठी।
दीपक है मेरा प्यार आँधी से संघर्ष करेगा
समर्पण की चेतना हठयोग कर बैठी।