भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नाम क्या लूँ / हबीब जालिब
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:29, 12 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हबीब जालिब |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatNaz...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक औरत जो मेरे लिए मुद्दतों
शम्अ की तरह आँसू बहाती रही
मेरी ख़ातिर ज़माने से मुँह मोड़ कर
मेरे ही प्यार के गीत गाती रही
मेरे ग़म को मुक़द्दर बनाए हुए
मुस्कुराती रही
उस के ग़म की कभी मैं ने पर्वा न की
उस ने हर हाल में नाम मेरा लिया
छीन कर उस के होंटों की मैं ने हँसी
तेरी दहलीज़ पर अपना सर रख दिया
तू ने मेरी तरह मेरा दिल तोड़ कर
मुझ पे एहसाँ किया