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माटी के घरघुंदिया / गोविंद धनगर

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तन तोर माटी के घरघुंदिया हे
खेलउना बरोबर....
छिन छिन दुख सुख आही जाहीं
पहुना बरोबर .....

माटी गोटी कस महल अटारी
सब छूट जाही अंगना बारी
दुर्रा कुदरी कस माल खजाना
माटी के पुतरी सब संगवारी
आही लेगइया रोवत जावे
गउना बरोबर .........

आहि लेगइया चामुक बजावत
भांवर परही माटी संग
सगा तेलइ के आगी सिपचाही
पिंवरा गे माटी के रंग
झूठ लवारी के समधी सिरजाये
मिलौना बरोबर......
भाई भाई धरती बाटे
पंच बलाइस बस्ती के
करम के खाता देखीन मालिक
चवगुना बियाज हे मस्ती के
भटकट रही जाही नाम बिना जीव
बिन पांखी के परेवना बरोबर........

सोंदे चिखे जिभा के परसादे
खाये खीर मलाई रे
करकाया के सत करम धरम
दुनिया खोजत रही जाही रे
ममहावत रही जाही नाम जगत में
हउना बरोबर..........