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उसने जब हँस के नमस्कार किया / हबीब जालिब
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उसने जब हँस के नमस्कार किया
मुझ को इनसान से अवतार किया
दश्त-ए-ग़ुर्बत में दिल-ए-वीराँ ने
याद जमुना को कई बार किया
प्यार की बात न पूछो यारो
हम ने किस-किस से नहीं प्यार किया
कितनी ख़्वाबीदा तमन्नाओं को
उसकी आवाज़ ने बेदार किया
हम पुजारी हैं बुतों के 'जालिब'
हमने का'बे में भी इक़रार किया