भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भासन / रघुबीर सिंह घृतलहरे
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:27, 17 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रघुबीर सिंह घृतलहरे |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
भासन ले मिलथे आसान
आसन के मतलब शासन
अउ शासन ले मिलथे भैया
घर, कपड़ा अउ रासन।
भासन देके सी.एम. बनजा।
भासन देके पी.एम.।
कलेक्टर-कमिश्नर अफसर
मुट्ठी मं रइथे जी.एम.
परजातंतर मं होथे भैया.....
जनता मनके शासन
जानवर वोला कइथे
जोन बोल नई सकय जी
पथरा वोला कइथे
जोन डोल नई सकय जी,
भासन देके जीत सकत हे
इनसान, इंदरासन
जीये बर हे सुख-सम्मान से
भासन देबर सीखौ
राज पाठ लेना हवय त
भासन देबर सीखौ
जानौ का हे नियम कानून
अउ जानौ अनुशासन
भासन ले मिलथे आसन