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चिकारा / नरेश निर्मलकर
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मन बंजारा आवारा, किंजरे ये पारा वो पारा।
मोह के गठरी खांध म ओरमे, स्वांसा सुर मं चिकारा।
गांव सहर रद्दा पैडगरी, संग मा मित मितानी
दया-मया सुख-दुख पीरा मा, जूरे हे राम कहानी
का घर कुरिया कुंदरा डेरा, का बन बारी बियारा
बनगे काकरो मया मयारू काकरो बार परदेशी
चिन्हय कोनहो हीरा के पीरा, कोन्हों कहै दूरदेशी
अंतस गोठ कोन परखईया, मया के मुरहा बिचारा
करम के जोगी धनी धरम जीव, जिनगी सुफल बनाही
कोन उबारे बिधि के लिखना, एक आही एक जाही
गुणी गरीबी गोठ गोठागे, ग्यान बिना अंधियारा