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चौरान्बे के पूरा / रामेश्वर वैष्णव

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गंवागे गांव, परान, मकान पूरा मं एंसो
बोहागे धारोधार किसान पूरा मं एसो
सुरजिनहा होईस वरसा त पंदरा दिन के झक्खर
जीव अकबकागे सब्बो के कहे लंगि अब वसकर
भुलागेंन काला काला कथें विहान पूरा मं एसों...

पैरी-सोंढुर महनदी, हसदों अरपा सिवनाथ
खारुन इंद्रावती-मांद, वनगे सव काले के हाथ
लहूट गे जीवलेवा कोल्हान पूरा मं एसों ....

वादर फाटि स, जइसे कंहू समुंदर खपलागे
रातो रात इलाका ह पानी मं ढकलागे
परे सरगे सच विजहा धान पूरा मं एसों...

सांप-बिछ्छी मनखे कोचकिच ले रख राई म अरझे
परवत-पिरथी जलथल होगे कोन अकास ल बरजे
वोनहावय भंइसा भरे उतान पूरा मं एसों...

दिल्ली अउ भोपाल मं मचगे छत्तीसगढ़ के हल्ला
मंतरी नेता आंसू पोंछे दंउड़त आगे पल्ला
निचट घर्राईस उड़त विमान पूरा मं एसों.....

रोमिहा रोमिहा के पानी ह मरो जिओ के बरसिस
रद्दा सबों छेंकागे मनखे खाय पिए वर तरसिस
बचाना मुस्कुल होगे जान पूरा म एसों...

सेना, हेलीकाप्टर, मोटर-वोट बलाना परगे
कतको वाढ़ फंसे मनखे मन वांचिन, कतको भरगे
उठाईन जोखिम वीर जवान पूरा मं एसों
पांव-परव मैं ऊंकर जेमन कूद परिन मंझधार,
उबुक-चुबुक होवत जिनगी ल जे नहकाईन पार
लुटाके अपनो घलो परान पूरा मं एसों...