भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बात अधूरी / सुस्मिता बसु मजूमदार 'अदा'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:03, 20 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुस्मिता बसु मजूमदार 'अदा' |अनुवा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो बात अधूरी सच्ची है
वो बात अधूरी अच्छी है
कुछ काली रातें सच्ची हैं
कुछ उयजली बातें अच्छी हैं।

उस रोज अमावस सच्ची थी
अब पूरणमासी अच्छी है
कुछ यादें अब भी ताजा हैं
कुछ बातें अब भी कच्ची हैं।

उन उजली उजली आँखों में
मैंने देखा था सूनापन
कारण जो मैंने पूछा तो
बोले बेटा तू बच्ची है।

तंदूर अभी सुलगाया है
कुछ रिश्ते पकने बाकी हैं
है प्यार की धीमी आंच अभी
बस बात इतनी ही अच्छी है।