भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदिवासी गीत सुनने के बाद / दिनेश्वर प्रसाद

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:48, 24 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश्वर प्रसाद |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ले चलो, महाकान्तार में ।
अँकों से ऊब गया हूँ ।
घूरते प्रश्नों की हंसी में डूब गया हूँ ।
खींचो मुझे, ले चलो —
हरियाली पीकर लौट आऊँगा ।

(14 दिसम्बर 1964)