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डोले पवन पुरवइया रे / पीसी लाल यादव
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फर के मारे लहस गे हे डारा,
बइठे चिरइया बाँटत हवै चारा।
डोले पवन पुरवइया रे
संगी नाचे ता -थइया रे।
मरार बारी गोंदली के डुहरू।
दुहरू पलोवय पानी बुधरू॥
टेड़ा टेड़त बज गे बारा,
पठेरा म माड़े कुची-तारा,
डोले पवन पुरवइया रे
संगी नाचे ता-थइया रे।
आमा म कुहके कारी-कोयली,
टुरा बटकर धरे पयली-पयली।
भौजी डोहारे मुड़ी म भारा,
संझा बियारी झारा-झारा,
डोले पवन पुरवइया रे
संगी नाचे ता-थइया रे।
कोठार बियारा बंभरी के राचर,
मनमोहना के ददरियारंग झाझर।
ममा मतावय माटी के गारा
बढ़ई बबा चलाय आरा।
डोले पवन पुरवइया रे
संगी नाचे ता-थइया रे।