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देखे भर के चोखा / पीसी लाल यादव
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हरदी के जगमग, टेसू के रंग
संगी देखे भर के चोखा।
बदरी के छाँव, परदेसी के संग
कहूँ करे भरोसा त धोखा॥
भौंरा हर तो आवय संगी,
रंग-रूप अउ रस के लोभी।
रस सिरागे तहाँले भइगे
खोजे भागे के ओखी॥
ओ देखत रहिथे मौका।
मया के नाव म करथे,
चार दिन मोहलो-मोहलो।
मतलब निकलगे तहाँ ले
दूरिहा जथे छईंहा घलो॥
तब काखर करबे भरोसा?
मनखे अतका चतुरा हे के
मनखेय ल देथे दगा
दाई-ददा कोनो कुछु नई लागे
न पारा-परोस, न सगा॥
भइगे अइसने जिनगी खोखा।