रैम्बो के लिए / मोईन बेस्सिसो / उज्ज्वल भट्टाचार्य
जब रैम्बो<ref>आर्थर रैम्बो (Arthur Rimbaud) – प्रसिद्ध फ़्रांसीसी कवि, जो कविता लिखना छोड़कर ग़ुलामों का व्यापारी बन गया था।</ref> ग़ुलामों का व्यापारी बन गया
और उसने अपने जाल फेंके
इथियोपिया में
वह काले शेरों का शिकार करता रहा
और काले हंसो का
और उसने कविता लिखना छोड़ दिया
कितना ईमानदार था वह बच्चा ।
लेकिन दूसरे कितने कवि थे
जो ग़ुलामों के व्यापारी बन गए
जमाख़ोर बन गए
और वे कविता लिखते रहे ।
वे विज्ञापन कम्पनियों के नुमाइन्दे बन गए
नकली तस्वीरों के धन्धे में जुट गए
और वे कविता लिखते रहे ।
शाही महलों में उनकी कविताएँ
दरवाज़े और खिड़कियाँ
मेज़ और गलीचे
बन गईं
और वे कविता लिखते रहे ।
वे कसीदे पढ़ते रहे
दुनिया के शहंशाहों से उन्हें पदक और सम्मान मिलते रहे
और सोने और चान्दी और पत्थर के फलक
और वे कविता लिखते रहे ।
उनकी कविताओं पर
भड़ैत सैनिकों के बूटों की छाप लगी
और वे कविता लिखते रहे ।
कितना ईमानदार था वो रैम्बो
कितना सच्चा था वो बच्चा ।
जर्मन से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य
<ref></ref>