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एक घटना / संध्या रिआज़

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अचानक एक दिन
घट गई एक घटना
पल रहा था जो अन्दर मेरे
धीरे धीरे हौले हौले
देता था खुषी लेता था ग़म
गुज़रते गये इसी तरह कुछ महीने कुछ दिन
चहकता था मन पाकर एहसास उसका

अचानक उस षाम जाने क्या हो गया
अस्तित्व उसका पिघलने लगा
षरीर उसका मरने लगा
दिल मेरा भी डूबता गया मरता गया साथ उसके
जैसे धीमी-धीमी धूप को खाने लगी हो घटा कोई
ऐसे ही खाने लगा उसका खोना
मेरी खुषी के हर कोने को
और फिर धीरे-धीरे हो गया सब खत्म

जो पल रहा था ले रहा था सांस
धीरे धीरे हौले हौले
एक ही झटके में छोड़ गया संबन्ध
बस छोड़ गया एक एहसास
कि कभी कुछ महीने
बिना जान पहचान के
था बहुत अटूट संबन्ध उसका और मेरा
हां मुझसे मुझ तक ही
पर अब बिखर गया,खो गया,टूट गया
बिना पुकारे,बिना मिले मुझसे
हाय!
मेरा प्यारा नन्हा सा हिस्सा
खो गया हमेषा हमेषा के लिये