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आएँगे / जय गोस्वामी / रामशंकर द्विवेदी

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सब कुछ याद रखे हूँ ।
कब जो चिबुक के पास तर्जनी रखकर
अवाक् होकर ताकी हो गमलों के पुष्पगाछ की तरफ;

अरी माँ ! कितने सुन्दर हैं ?
इतनी कलियाँ आ गईं हैं ?
वे खिलेंगी कब ?

आज ही खिल गई हैं
यदि तुम घूमकर देख सकती हो
तो सारे फूलों के साथ तुम्हारी भेंट हो जाएगी ।

फूल आएँगे,
एक बार ज़रूर आएँगे,

गमले के गाछ के पास
मोढ़ा डालकर बैठा रहूँगा मैं ।

मूल बाँगला भाषा से अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी