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औसत बारिश / अरुण चन्द्र रॉय

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मेरे गाँव में

बारिश नहीं हुई
जब रोपनी हो रही थी
धान की
 
फिर आई
भीषण बाढ़
मेरे गाँव में
और बह गया
रहा-सहा धान
 
तब भी बारिश नहीं हुई
जब फूटना था
बाढ़ से बचे हुए धानों को
 
जैसे तैसे धान फूटे
और कटनी के समय
बादल बरसा ख़ूब
मेरे गाँव में
 
इण्डिया गेट पर तब
नहाए ख़ूब बच्चे
भीगे रूमानी मौसम में ख़ूब जोड़े
अखबारों ने छापे
हरे-भरे, साफ़-सुथरे वृक्षों के चित्र
जब माथे पर हाथ धरे
रो रहे थे मेरे गाँव के किसान
मौसम विभाग ने बुलाकर प्रेस-कांफ्रेंस कहा
इस साल भी हुई औसत बारिश
 
मेरा खलिहान रहा ख़ाली
जिसका ज़िक्र नहीं होगा
किसी रिपोर्ट में  !