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हस्तिनापुर आजकल / राजा अवस्थी

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हस्तिनापुर में पितामह
आजकल किस हाल होंगे
उन दिनों-से चित्र शायद
आज भी विकराल होंगे।

युद्ध में अब भी
शिखण्डी को बनाता ढाल अर्जुन
और उस पर दम्भ
जीता महाभारत-सा समर;
कलंकित मातृत्व को कर
राजसुख स्वीकारने को
शूल कुन्ती ने बिछाये
कर्ण के पथ हर प्रहर;
अश्वत्थामा हतो का
उद्घोष करके कृष्ण! क्या?
पार्थ के या तुम्हारे ही
गर्व लायक भाल होंगे?

द्रोण अंधे भागते
प्रतिशोध, धन, पद, मद लिये
चिढ़ाता—सा अँगूठा
एकलव्य का कटकर पड़ा है;
तीव्रता से राज्य का सब
कोष खाली हो रहा
कोषपालों का भवन
पुखराज पन्नों से जड़ा है;
द्वार की ध्वनियाँ
नहीं सुनता सचिव जब
तो कहो फिर! न्याय के ' औ
नीति के क्या हाल होंगे।