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निशानी समझ हम उन्हें भी संजोते / चन्द्रगत भारती

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कभी भी हमे दिल लगाना नही था
तसव्वुर मे उनको बसाना नही था।।

हसरत मेरी थी कि जुल्फें संवारूं
ख्वाबों खयालो मे उन्हे ही पुकारूं
उन्हे ख्वाहिशों को निभाना नही था।।

भले ही जिगर मे बहुत जख्म होते
निशानी समझ हम उन्हें भी स॔जोते
हुई चूक उनसे निशाना नहीं था।।

अगर पास आया महकने लगूंगा
उन्हे था पता मै बहकने लगूंगा
मुझे मयकदे मे बुलाना नहीं था।।

न दिल को हंसाया न दिल को ही तोड़ा
निभाया न वादा न दामन ही छोड़ा
कसम तोड़ने का बहाना नहीं था।।