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तुम्हें मैंने पा लिया / उर्मिल सत्यभूषण
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तुम्हें मैंने पा लिया प्रभु!
आंखें बंदकर, जब मोर पंखों वाले
तुम्हारे किरीट के अद्भुत रंगों को देखती हूँ
तो तुम्हारी मुस्कान
के मोती चमकते है चहुं ओर
बंद आँखों से ही निहारती हूँ
तारों जड़ें आकाश को
तो अनगिन ज्योतिसर््फुलिंगों
में नर्त्तन करते लगते हो
तुम ही मेरे पीताम्बर!
बंद आँखों में ही मैं तुम्हारी
अद्भुत रासलीला का
आनंद उठाती हूँ
हे लीला पुरुष!
तुम मुझे अभिभूत कर देते हो
विभोर कर देते हो
मेरे ज्ञान चक्षुओं को
अपने संस्पर्श से खोल
देते हो और समझा देते
हो स्वधर्म के अर्थ
स्थितप्रज्ञता के अर्थ
कर्मण्यता के अर्थ
कर्मभूमि के अर्थ।