भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमें तुम भा गये मौसम / उर्मिल सत्यभूषण

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:56, 20 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उर्मिल सत्यभूषण |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारे सप्तवर्णी फूल
मन को भा गये मौसम
कि रंग ऋतुराज के अनुकूल
रस बरसा गये मौसम
हमें तुम भा गये मौसम
नशीले आ गये मौसम
लिये संदेश फागुन के
उमड़ते गीत उन्मन से
उड़े पाखी स्मृति वन से
हृदय तक आ गये मौसम
रंगीले आ गये मौसम
हमें तुम भा गये मौसम
हुये मधुमास में अनुबंध
सुमन सौरभ सरस संबंध
पुनीता परम पावन गंध
से महका गये मौसम
रसीले आ गये मौसम
हमें तुम भा गये मौसम
धरा धारे वासंती साज
कहीं पन्ने, कहीं पुखराज
कुसुम किसलय जड़ित तरुताज
पहने आ गये मौसम
छबीले आ गये मौसम
हमें तुम भा गये मौसम
हरित संवेदना के फूल
खिले हैं भावना के कूल
प्रिय रसराज रंग की धूल
में नहला गये मौसम
सजीले आ गये मौसम
हमें तुम भा गये मौसम।