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नेमते कितनी है तूने मुझको बख्शीं / उर्मिल सत्यभूषण

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नेमते कितनी है तूने मुझको बख्शीं
मेरी झोली अपनी दौलत दे के भर दी

अपने कदमों में ज़रा सी तू जगह दे
मैंने अपनी जिं़दगी तेरे नाम कर दी

मिट गई तारीक किस्मत की रेखायें
रौशनाई से मेरी तकदीर लिख दी

जब पुकारा मैंने, जलवा है दिखाया
एक पल में मेरी सारी पीर हर ली

शुक्रिया, तेरा, बहुत मेरे खुदाया
तुमने उर्मिल को अजब लीला दिखा दी।