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प्राचीर गिराना होगा / प्रेमलता त्रिपाठी
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बंधन यह प्राचीर, गिराना होगा।
अनुबंधों को आज, हटाना होगा।
नयनों में हो लाज, नहीं घूंघट पट,
रूढ़िगत हो विधान, ढहाना होगा।
जड़ता करनी दूर, साधना प्यारी,
बेटी को सम्मान, दिलाना होगा।
सुत औ सुता समान, भावना जागे,
देकर शिक्षा ज्ञान, बढ़ाना होगा।
हरे सुता संताप, मिटे लाचारी,
वस्तु कहें अपमान, मिटाना होगा।
मन में पुनःविचार, करो सब मंथन,
प्रेम हृदय को आज, जगाना होगा।