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मेह सावन तुम्हें रिझाना है / प्रेमलता त्रिपाठी
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मेह सावन तुम्हें रिझाना है।
मीत मनको सरस बनाना है।
बूँद रिमझिम तपन मिटाती तुम,
सुन तराने तुम्हें सुनाना है।
भीग जाना मुझे फुहारों में,
आज तुमको गले लगाना है।
राह कंटक भरी सताती जो,
फूल बनकर उसे सजाना है।
साथ मिलता रहे तुम्हारा घन
प्रीत बनकर सुधा लुटाना है।
प्रेम सावन सघन करो तनमन,
पर कहर से तुम्हे बचाना है।