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फूल उपवन में / प्रेमलता त्रिपाठी
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फूल उपवन में महकने के लिए तैयार है।
देवि चरणों में बिखरने के लिए तैयार है।
हर कली संदेश देती दान जीवन लक्ष्य हो,
दे सुरभि का दान हँसने के लिए तैयार है।
सींच माली ने दिया जीवन जिसे है सर्वदा,
हित उसी के आज मिटने के लिए तैयार है।
नाज करती वह सदा ही हार भी स्वीकारती,
बन सके वह हार खिलने के लिए तैयार है।
कर्म जिसका जो सही उसको वही साजे सदा,
भाव निष्ठा हेतु मिटने के लिए तैयार है।
मान मर्यादा सभी हैं श्रेष्ठ जीवन के लिए,
प्रेम शुचिता से निखरने के लिए तैयार है।