भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उपहार दे माँ शारदे / प्रेमलता त्रिपाठी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:50, 30 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमलता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
साहस भरा जीवन मुझे, उपहार दे माँ शारदे।
भूले नहीं तुझको सदा, वह प्यार दे माँ शारदे।
वीणा वरद वरदायिनी, कण-कण सजा दो भारती,
लय-ताल से मुखरित करो, स्वर सार दे माँ शारदे।
मँझधार में है डूबती, नौका सहारा माँगती,
संकट कटे अब हाथ में, पतवार दे माँ शारदे।
कर सत्य लेखन को हृदय, भयभीत क्यों मातेश्वरी,
मुझको अभय वरदान मन, अंगार दे माँ शारदे।
दर्पण दिखाना सत्य का, यह धर्म अपना हो सदा,
लेखन करे वह जंग असि, को धार दे माँ शारदे।
जागे हृदय विश्वास नंदित हो सके जन भावना,
सुखदा सतत हो लेखनी, श्रंृगार दे माँ शारदे।
अहसास सुख दुख का उठे, वह गीत लिखना है सभी,
यह प्रेम की मनुहार है, विस्तार दे माँ शारदे।