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रतजगा शहर / फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का / विनोद दास

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ब्रुकलिन ब्रिज निशागीत

बाहर आसमान तले कोई नहीं सोता | कोई नहीं, कोई नहीं
कोई नहीं सोता
निशाचर सूँघते हुए डेरों को घेर लेते हैं
ज़िन्दा गोह उन आदमियों को काटने के लिए आएँगें
जो सपने नहीं देखते ।

और टूटे दिल वाले भगोड़े सड़क के नुक्कड़ पर मिलेंगे
एक बेएतबार मगरमच्छ सितारों की नाजुक नाफ़रमानी तले आराम फ़रमा रहा है
बाहर इस दुनिया में कोई नहीं सोता । कोई नहीं । कोई नहीं ।
कोई नहीं सोता ।

सबसे दूर मौज़ूद क़ब्रिस्तान में
एक लाश तीन सालों से अपने घुटने में आए सूखेपन को लेकर
शिकायत कर रही है
और एक लड़का जिसे इस सुबह दफ़नाया गया था
वह इतना रोया
कि उसे चुप कराने के लिए कुत्तों को बुलाना पड़ा ।

ज़िन्दगी सपना नहीं है । होशियार ! होशियार ! होशियार !
सीढ़ियों से गिरकर मैंने गीली ज़मीन चख़ ली ।
बेजान डहलियों की लड़ी के सहारे हम बर्फ़ के किनारों तक चढ़ गए
लेकिन वहाँ न तो विस्मृति थी, न ही सपना
कुँवारी देह थी । नई रगों के उलझाव में
मुँह चुम्बनों से सिल गए थे
और जिन्हें चोट लगी थी, वे अविराम चोट खाते रहेंगे
और जो मौत से डर गए थे,वे उसे अपने कन्धों पर ढोते रहेंगें

एक दिन आयेगा
जब घोड़े शराबखानों में रहेंगे
और गुस्साई चीटियाँ उन पीले आसमानों पर हमला बोल देंगी
जो मवेशियों की आँखों में पनाह लेते हैं
किसी और दिन
हम सूखी तितलियों का पुनर्जन्म देखेंगें
धूसर जलशोषी समुदी जीवों और ख़ामोश जहाज़ों से भरे नज़ारे में भी चलते हुए
हम पक्के तौर से ध्यान रखेंगें कि हमारी अँगूठियाँ चमकती रहें
और हमारी जीभों से गुलाब झरते रहें ।

होशियार ! होशियार ! होशियार !
वह लड़का जो इसलिए रो रहा था
कि उसे पुलों के अविष्कार के बारे में पता नहीं था
या वह लाश जिसके पास
अपनी खोपड़ी और एक जूते के अलावा कुछ नहीं था
उन पर अब भी पँजों और बादल फटने के निशान मौज़ूद हैं
उन सबको उस दीवार की तरफ़ धकेला जा रहा है
जहाँ गोह और साँप घात लगाए बैठे हैं
जहाँ भालू के दाँत इन्तज़ार करते हैं
जहाँ एक बच्चे के मरे हाथ इन्तज़ार करते हैं
और ऊँट के रोंयें विकट नीली ठण्ड से भरे हैं

बाहर आसमान तले कोई नहीं सोता, कोई नहीं । कोई नहीं ।
कोई नहीं सोता ।
फिर भी अगर कोई अपनी आँखें मून्दता है
उसे जगाओ मेरे बच्चे ! उसे जगाओ !
वह अपनी खुली आँखों से चारों तरफ़
टीसते लाल घावों का मुज़ाहिरा करे
बाहर इस दुनिया में कोई नहीं सोता । कोई नहीं, कोई नहीं ।
कोई नहीं सोता ।

वैसे रात में अगर किसी की कनपटी पर बेहद काई जमी है
तो खोल दो चोर दरवाज़ा
ताकि वह चान्दनी में देख सके
शराब का नक़ली प्याला,ज़हर
और रँगशाला में रखी खोपड़ी

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास