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बिना शीर्षक-1 / विजया सती

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ओ भोर किरन!

मुझे भी थोड़ी स्निग्धता दो,

थोड़ी मस्ती दो, पवन!

पत्तियो! थोड़ा कंपन--

शाम! मुझे सुहानापन दो,

और ओ मेरे अनाम!

बूंद भर ज़िंदगी दो न!