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स्वागत है / शिवनारायण जौहरी 'विमल'
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इस सदी के अठारवे श्रीकृष्ण
उतरो धरा पर हाथ में
मंगल कलश लेकर
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा |
व्दापर की रासलीला को
विकारों से वासना से मुक्त कर दो
न चीर हरण हो
न खून की रक्तरंजित चीख
सुनाई दे हवाओं को
तुम्हारे राज में
न आसमां से राख बरसे
न आंच आए हरी साडी पर
न चांद जैसी निपूती
हो पाय यह धरती
तुम्हारे राज में
आओ चिड़ियों की
चहचहाट बनकर
मर्गों की छलांगें बनकर
बच्चों की मुस्कान
मंगल गान बनकर
उजली धूप बनकर
चादनी रात बनकर
आओ मंगल कलाश
अपने हाथ में लेकर।।