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जीवन संगीत / जोशना बनर्जी आडवानी

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मैंने जीवन का सबसे पहला संगीत तुम्हीं
से सीखा है प्रिये

जैसे सीखता है शिशु जन्म लेने से ठीक पहले गर्भ में
 कई त्वचाओं के पीछे खुद को स्थापित करना
जैसे सीखती है नन्ही पत्ती हवा के झोंके से डाली
पर लहराने से ठीक पहले तनकर सांस लेना
जैसे सीखता है बाज़ का बच्चा उड़ने से ठीक पहले
अपने पिता द्वारा आकाश से ज़मीन पर छोड़ दिये
जाने पर गिरने से पहले संभलने की कला

वे सारे गीत जो तुमने मुझे समर्पित किये हैं
वे दे रहें हैं मुझे गति, चला रहे हैं मुझे,
दे रहे हैं मुझे श्वास
वे मेरी धरोहर हैं
वे आधुनिक प्रेम की तरह मायावी नही
जो कहे मैं गीता पर हाथ रख कर शपथ
लेता हूँ जो भी कहूँगा सच कहूँगा सच के
सिवा कुछ ना कहूँगा ....
और फिर करे छल

वे मेरी अन्तिम श्वास के साथी हैं
मेरे शव के कांधी हैं
तुम्हारे समर्पित किये हुये गीत