भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आछी के वन-2 / ठाकुरप्रसाद सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:06, 21 नवम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ठाकुरप्रसाद सिंह |संग्रह=वंशी और...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आछी के बन
आछी के बन अगवारे
आछी के बन पिछवारे
आछी के बन पूरब के
आछी के बन पच्छिमवारे
महका मह-मह से रन-बन
आछी के बन
भोर हुई सपने-सा टूटा
पथ मंह-मंह का पीछे छूटा
अब कचमच धूप
हवाएँ सन सन
आछी के बन