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आएगा वो दिन / मोजिद महमूद / स्वस्तिका चक्रवर्ती

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एक दिन आएगा वो दिन, इस बेहिन के गाँव में
हम मानव नहीं खोज पाएँगे तुम्हें उस दिन
इस पल में तुम कहाँ जाओगी महफूजा
हमारे गाँव में अभी नहीं आया तुम्हारा मौसम
फिर बेमौसम सुरक्षित है ये गाँव
हवाओं में नहीं है तुम्हारी रवानी
यूँ अस्तित्वहीन होने से तुम बन जाओगी प्रकृति
इन पंछियों-सी
इन वृक्षों-सी
तुम्हारे बिना प्रदूषित हो जाएगी ये धरती ।

मूल बांगला से अनुवाद : स्वस्तिका चक्रवर्ती