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हम दोनों की पीर एक है / शिवम खेरवार

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हम दोनों की पीर एक है,
निचले तबके वाली।

हाथ पसारो तो यह दुनिया,
एक रुपइया देती।
एक रुपइया में मन भरकर,
ख़ूब दुआएँ लेती।

महँगाई में कहाँ मयस्सर,
पर चिल्लर से थाली?
हम दोनों की पीर एक है,
निचले तबके वाली।

ईंटें, गारा सिर पर रखकर,
गंतव्यों तक बढ़ना।
कितना मुश्किल है; भूखे ही,
अनगिन माले चढ़ना।

चार चपाती में ही कुनबा,
ढूँढे नित खुशहाली।
हम दोनों की पीर एक है,
निचले तबके वाली।

हाथों से अक्षम हो तुम, मैं;
पैरों से हूँ घायल।
दुनिया इसको ढोंग समझती,
कहती पहनो पायल।

तुमसे भी क्या दुनिया कहती,
तनिक बजाओ ताली।
हम दोनों की पीर एक है,
निचले तबके वाली।