भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तीर्थों का संसार / राजकिशोर सिंह

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:19, 7 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजकिशोर सिंह |अनुवादक= |संग्रह=श...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अहले सुबह
बच्चा नींद से उठकर
अपने बिस्तर पर
मन से पढ़ता है
उसका पिता
देऽकर मन में
स्वप्न गढ़ता है
यही कल बड़ा बनेगा
बुढ़ापे का
सहारा बनेगा
इसे सोच कर
उसका हृदय
गर्व से पफैलता है
ऽुशी से वह
मन ही मन झूमता है
और कहता है
मुस्लिम क्यों
घूमता मक्का मदीना
हिन्दू क्यों
काशी हरिद्वार
बिस्तर पर बच्चे
पढ़ रहे हैं
यही है तीर्थों का संसार।