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चोर-चोर मौसेरे भाई / राजकिशोर सिंह

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दिवस के अवसान में
बटमारों के व्यवधन में
ऽदेड़ते-ऽदेड़ते पुलिस को
शाम से हो गयी भोर
पिफर भी न पकड़ाया चोर
कभी न सकती
पुलिस उसे पकड़
क्योंकि पुलिस के दौड़ने पर
चोर जाता है अकड़
आप जानते हैं
व्याकरण में
पुलिस स्त्राीलिंग है
चोर पुल्लिंग है, कैसे पकड़ाएगा
दरोगा जी की बात कहो
तो कहेंगे
उसमें कुछ दम है


लेकिन दम
चोर से कम है
दोनों एक ही लिंग के हैं
यानि उदाहरण पुल्लिंग के हैं
स्वभाव से जानवर
लेकिन बिना सींग के हैं
चोर का जूठा दरोगा जी
हर चोरी में ऽाते हैं
सरकारी वेतन से ज्यादा
चोर से पगड़ी पाते हैं
इसलिए
चोर दरोगा से कैसे पकड़ाएगा
पकड़ाएगा तो
माल कहाँ से आएगा
अगर एस.पी. चाहे
तो कर देगा
डाकू और चोरों पर चोट
लेकिन विवश हैं क्या करें
देने होते हैं हर महीने मंत्राी जी को
लाऽ रुपये के नोट
मंत्राी जी के चौका से
चौकीदार तक कहो किसने
न घूस ऽाई है
यहाँ किसे कहोगे
सब चोर-चोर मौसेरे भाई हैं।