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अब जीना सस्ता नहीं / राजकिशोर सिंह
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हो गया सबकुछ महँगा
अब कैसे जीऊँ
जीना सस्ता नहीं
चाहता हूँ मरूं लेकिन
मरने का भी कोई रास्ता नहीं
अब जीना सस्ता नहीं
बनाया था आगरे में
शाहजहाँ ने ताजमहल
अब मुम्बई में एक कट्टòे में
बना लो एक महल
तो पता चल जाएगा
अब जीना सस्ता नहीं
मरने का कोई रस्ता नहीं
नहीं मिलेगी सांँस लेने की राह
और नहीं दिऽोगे
तब दिल्ली का बादशाह
बेगम मुमताज होती जीवित
तो अंदाजती अपनी औकात
पांच सितारे होटल में
एक सूबे के टैक्स में
सुबह का भोजन शाम का नाश्ता
तो स्वयं कहती
जीना नहीं अब सस्ता
मरने की हो इच्छा तो
मरने का भी न कोई रस्ता।