हिमगिरी जैसा भाल चाहिए
दिनकर सा ही लाल चाहिए।
समता की जो बात बताता
और न्याय को सम्मुख लाता
सूत पुत्र के जैसा सबके
हृदय हृदय में ज्वाल चाहिए
दिनकर सा ही लाल चाहिए।
तर्क की बात जो हमें बताए
जन-जन की पीड़ा समझाए
साहित्य में जिसकी सुचिता हो
ऐसा ही दिक्पाल चाहिए
दिनकर सा ही लाल चाहिए।
नेता को आदर्श सिखाए
नैतिकता की बात बताए
जाति धर्म का नफरत रोके
ऐसा ह्रदय विशाल चाहिए
दिनकर सा ही लाल चाहिए।
राजनीति है तम फैलाती
घृणा द्वेष का राग सुनाती
नफरत की आंधी जो रोके
ऐसा ही फिर काल चाहिए
दिनकर सा ही लाल चाहिए।
सेवक की भाषा जो बदले
जनता की आशा जो बदले
आशा का प्रदीप जलाए
ज्योतिपुंज विकराल चाहिए
दिनकर सा ही लाल चाहिए।