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प्यार की बातें / कीर्ति चौधरी
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आअो करें प्यार की बातें
दिल जैसे घबराता है
कैसे-कैसे संशय उठते
क्या-क्या मन में आता है
छूट न जाए साथ
जतन से जिसको हमने जोड़ा था
पाने को सान्निध्य तुम्हारा
क्या-क्या छोड़ा-जोड़ा था
समय हमारे बीच बैठकर
टाँक गया कहनी-अनकहनी
भूलें की थी,दर्प किया था
चोटें की थी अौर सहा था
आअो उसे मिटाएँ
फिर से लिखें कहानी
उन यादों की
भूली-बिसरी बातें
मेरी अौर तुम्हारी
जिनसे शुरु किया था जीवन
फिर दुहराएँ
आअो करें प्यार की बातें ।