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बगीचे फूल से महके मिलेंगें / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

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बगीचे फूल से महके मिलेंगें।
यहाँ हर बाग भी गमके मिलेंगें।।

करें तारीफ हम अपनी जमीं की।
जहाँ हर आदमी बहके मिलेंगें।।

करेंगें साथ रहकर दुश्मनी भी।
गले भी रोज आ जमके मिलेंगें।।

नतीजे सामने देखो यहाँ पर।
चबाते पान सब लड़के मिलेंगें।।

सुबह से शाम तक बैठे बिचारे।
ग़ज़ल में काफिया बनके मिलेंगें।।

अभी तो काम बाकी है बहुत ही।
ग़ज़ल स्वर लय मधुर सुरके मिलेंगें।।

ग़ज़ल की रात भी कितनी सुहानी।
यहाँ खुद चांदनी चमके मिलेंगें।।