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धरती जब पथराव करेगी / हरि फ़ैज़ाबादी
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धरती जब पथराव करेगी
आसमान में घाव करेगी
झगड़ा साक़ी-मैक़श का है
मय क्यों बीच-बचाव करेगी
हम तुम जुड़ना चाहेंगे तो
दुनिया क्या अलगाव करेगी
घर से भूखी दुआ गयी है
कैसे दवा प्रभाव करेगी
बात-बात में शक की आदत
रिश्तों मंे उलझाव करेगी
बेटा प्यार करेगा घर से
तब ही बहू लगाव करेगी
जो ख़ुद बच्ची है वो कैसे
बच्चे का बहलाव करेगी
अश्क पीजिए वर्ना ग़ुर्बत
पैदा और तनाव करेगी