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परदेशी सजना / रंजना सिंह ‘अंगवाणी बीहट’

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साजन गये, परदेश जब,
लागी लगन, है प्रीत तब।
दिल है दुखी, पी चाह में,
बिसरा गया, वो राह में।।

पीड़ा भरे मन सालती।
मधुमालती, मधुमालती।

करती तुझे, ही याद अब,
आंसू बहे, दिन रात तब।
पथ देखते ,जब नैन है,
दिल में नहीं, सुख-चैन है।।

तन्हा यहाँ , सिसकारती।
मधुमालती मधुमालती ।।

मुख मोड़ कर,मत भागना,
तुम प्रीत में, उर बांधना।
दिल में बसी, चाहत मुझे,
मानूँ पिया,दिल से तुझे।।

कब से खड़ी, घर ओलती।
मधुमालती, मधुमालती।।

हिय में सदा, रहते पिया,
उसके बिना, सूना जिया।
कब आ रहे, हो घर सजन,
अब थक चुका, मेरा नयन।।

ताना सखी ,दिल घालती।
मधुमालती, मधुमालती।।