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नूतन वर्ष / रंजना सिंह ‘अंगवाणी बीहट’
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बिताए गत वर्ष पलों को साथ लिए,
स्वागत करती नव वर्ष क्षणों को,
समय सिखलाता आगे ही बढ़ना
मुड़ कर राही पीछे मत चलना ।
जीवन सदा रहे आह्लादित,
पथ आलोकित प्रभु तुम करना,
बाधाएँ सारी हे ईश्वर! तुम हरना,
जीवन सदा खुशी से भरना।
तुमसे सीखा है हम सबने,
सदा समय की कीमत करना,
अपनी मधुर वाणी के दम पर,
मन में विश्वासों को भरना।
नेक कर्म कर, खुद मशाल बन,
सबका जीवन-पथ आलोकित करना,
फूलों सी कोमल सेज छोड़कर,
रवि ताप को बदन पर सहना।
अटल धैर्य का पर्वत सदा बन,
तूफ़ानों से डटकर लड़ना,
कितनी भी मुश्किल हो आगे,
सब्र की बाँध नहीं तोड़ना।
सपनों को जेहन में संजोकर,
सपन-महल बनाकर बसना,
सीख समय का दिल में रखकर
हमें हमेशा आगे है बढ़ना।